कहने को बहुत बातें हे
लेकिन लब्ज़ ढून्ढ रही हूँ
ये ख़ामोशी को कोई समझ पाए
वैसे लोग ढून्ढ राइ हु
कोई अपना समझ के गलती भुला दे
या कोई प्यार से सेहला दे
काश कोई फिर प्यार करना सीखा दे
या कोई पुराने जख्म को भुला दे
हसना हसना तो सब कर लेते हे
कोई मेरे रूह को छू जाये
ऐसा इंसान ढून्ढ रही हूँ
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