मंज़िल ढून्ढ रही हु

कहने को बहुत बातें हेलेकिन लब्ज़ ढून्ढ रही हूँ ये ख़ामोशी को कोई समझ पाएवैसे लोग ढून्ढ[…]

ए ज़िन्दगी

ए ज़िन्दगी में ज़िंदा तो हु लेकिन खो गयी हु कहीं तेरे इन उलझनों में कुछ सवालो[…]

ए दिल

इस नादान दिल को कैसे समझाऊँ प्यार का मतलब क्या होता है ये तो चल पड़ा है[…]

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