कुछ अनजानी सी दस्तक जो उस दिन मेरे दिल पे दिए किसी ने
जाने क्यों जाना पहचाना सा लगा
फिर देखा तो मेरे कुछ पुराणी यादें थी
जो अर्सों बाद मुझसे मिलने आयी थी ..
एक ही तो सहारा हे जो मेरे दिल को तस्सली देती थी
वही छोटी सी जगह जहाँ दिल टूटने पर सिसक सिसक कर रोती थी
जहाँ अपनी सारी सीक्रेट्स छुपाके रखती थी.
वही खली जगह जो वही यादों ने बनायीं थी.
फिर सोचा यही तो यादें थी जिस ने प्यार करना सिखाया
जिसबे रूठना और मानना भी सिखाया.
उसको देख बोलै मेने
तेरी ही करनी थी जो आज रात में वही बंद पनो को खोलना चाहती थी.
फिर खुद को जोड़ने की कोशिस करना चाहती थी..
तुझे ही ढून्ढ राइ थी वही पुराणी किताबों की पनो में ..
आजा तू भी शामिल हो जा में और मेरी तन्हाई की रंगीन शाम में …
Anindita Rath
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